आज अध्यात्म की परिभाषा सभी अपने-अपने ढंग से कर रहे हैं। कुछ लोग पूजा को, कुछ कर्मकांड को, कोई ध्यान को, तो कोई योग को और कोई अपने विचारों को अध्यात्म मान रहा है। परंतु अध्यात्म यह एक विज्ञान है। एक शास्त्र है। यह सब उसके अंग हो सकते हैं, पर हम इसे ही अध्यात्म नहीं कह सकते। फिर अध्यात्म क्या है ? अध्यात्म, यह शब्द अधि + आत्मन् अर्थात आत्मा को समझने का जो शास्त्र है, उसे अध्यात्म कहते हैं। यह एकमात्र शास्त्र ऐसा है जो मनुष्य को किसी भी स्थिति में आनंद में कैसे रहें, यह सिखाता है। यह अद्भुत और सरल विज्ञान है और यह ऐसा विज्ञान है कि कोई यह नहीं कह सकता कि मुझे इसकी आवश्यकता नहीं है। इसलिए कि हर एक व्यक्ति आनंद चाहता है। कोई दुःख नहीं चाहता।
हमें सबसे पहले तो यह समझना होगा कि सुख अलग है और आनंद अलग। अध्यात्म आनंदमय जीवनयापन का मार्ग दिखाता है। आप जिस सुख की बात कर रहे हैं, उस सुख के साथ दुःख भी आता है, यह वास्तविकता भूल जाने से चलेगा? जिन्हें लगता है कि ‘जीवन में आनेवाली दुःखद घडी में भी मैं स्थिर, सयंमी और शांत रह सकूं’ उन्हें अध्यात्म समझना ही होगा। अध्यात्म, हमारे जीवन का समतोल बनाकर हमें आनंद में रहने की कला सिखाता है। मन को संयमित रखने की प्रेरणा देता है।
सभार – सनातन संस्था